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- एनपीसीआईएल के बारे में
न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल), परमाणु ऊर्जा विभाग (प.ऊ.वि.), भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। परमाणु ऊर्जा अधिनियम,1962 के अधीन भारत सरकार की योजनाओं एवं कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की दिशा में विद्युत उत्पादन हेतु परमाणु बिजलीघरों के प्रचालन व परमाणु विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन के उद्देश्य से 17 सितंबर, 1987 में इस कंपनी को, कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया। परमाणु ऊर्जा विभाग(प.ऊ.वि.)के एक अन्य सार्वजनिक उपक्रम भाविनि में भी एनपीसीआईएल की इक्विटी साझेदारी है, जो द्रुत प्रजनक रिएक्टर कार्यक्रम का क्रियान्वयन करता है।
एनपीसीआईएल, न्यूक्लियर विद्युत रिएक्टरों के अभिकल्पन, निर्माण, कमीशनिंग व प्रचालन के प्रति उत्त्रदायी है। एनपीसीआईएल, समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने वाली, लाभार्जक व उच्चतम क्रेडिट रेटिंग (क्रिसिल व केअर द्वारा प्रदत्त एएए रेटिंग) युक्त डिविडेंट भुगतान करने वाली कंपनी है। वर्तमान में एनपीसीआईएल, कुल 8180 मेगावाट विद्युत की संस्थापित क्षमता वाले 24 वाणिज्यिक न्यूक्लियर विद्युत रिएक्टरों का प्रचालन कर रही है। इस रिएक्टर बेड़े में 02 क्व्थन जल रिएक्टर (बीडब्यूजआर), 20 दाबित भारी पानी रिएक्टर(पीएचडब्यूीआर), जिसमें से राजस्थान में 100 मेगावाट विद्युत क्षमता वाला एक रिएक्टर परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार के स्वामित्व में है व 1000 मेगावाट प्रत्येक विद्युत क्षमता वाले 02 वीवीईआर रिएक्टर हैं। एनपीसीआईएल के कुल 6800 मेगावाट विद्युत क्षमता वाले 8 अन्य रिएक्टर भी निर्माणाधीन है।
भारत सरकार द्वारा ‘सैद्धांतिक अनुमोदन’ प्रदत्त नवीन स्थलों पर परियोजना-पूर्व कार्यकलाप प्रारंभ कर दिए गए हैं ताकि इन स्थतलों पर शीघ्रातिशीघ्र परियोजनाएं प्रारंभ की जा सकें।
एक जिम्मेदार निगम नागरिक होने के नाते, एनपीसीआईएल सीएसआर संबंधी कार्यकलाप करता रहता है और संधारणीय विकास (एसडी) से संबंधित परियोजनाएं क्रियान्वित करता रहा है। यह कंपनी, लोक उद्यम विभाग (डीपीई) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप निगम अभिशासन का अनुपालन करती है।
ध्येय
"न्यूक्लियर विद्युत प्रौद्योगिकी में वैश्विक स्तर की दक्षता प्राप्त करना व देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा में सहभागिता करना।"
मिशन
कंपनी का मिशन "देश में बिजली की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए सुरक्षित, पर्यावरणीय सौम्य और विद्युत ऊर्जा के आर्थिक रूप से व्यवहार विद्युत स्रोत के रूप में न्यूक्लियर विद्युत प्रौद्योगिकी का विकास करना तथा न्यूक्लियर विद्युत का उत्पादन करना है"।
आधारभूत मूल्य
हमने अपने मूल्यों को सहेज कर रखा है:
- संरक्षा - हमारे सभी कार्यकलापों में संरक्षा सर्वोपरि है।
- नैतिकता - पूर्ण निष्ठा व परस्पर विश्वास के माध्यम से ससम्मान नैतिकता के उच्चतम मानदंड स्थापित करना।
- श्रेष्ठता - शिक्षण, स्व-आकलन व उच्चतर मानक निर्धारण के माध्यम से निरंतर सुधार करना।
- सुश्रुषा - लोगों के प्रति सुश्रुषा व सहृदयता भाव व पर्यावरण का संरक्षण।
उद्देश्य
- “पहले संरक्षा फिर उत्पादन” के लक्ष्य के साथ न्यूक्लियर विद्युत केंद्रों से अधिकतम बिजली उत्पादन व लाभार्जन।
- देश में विद्युत मांग की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप देश में न्यूक्लियर विद्युत की उत्पादन क्षमता को सुरक्षित, किफायती व तीव्र रूप से बढ़ाना।
- इस संगठन व इससे जुड़े संगठनों में न्यूक्लियर विद्युत कार्यक्रम से संबंधित गुणवत्ता आश्वासन कार्यकलाप जारी रखना व उन्हें मजबूत करना।
- उच्च प्रौद्योगिकी के अनुरूप कार्मिकों की कार्य-क्षमता व कार्यनिष्पादन में सुधार लाने की दृष्टि से मानव संसाधन विकास (एचआरडी) कार्यक्रम के माध्याम से सभी स्तरों पर कार्मिकों को कार्य-दक्ष करना।
- न्यूक्लियर विद्युत उत्पाादन से संबंधित पर्यावरणीय संरक्षण उपायों को मजबूत बनाकर जारी रखना।
- निकटवर्ती जनता के समावेशी विकास के लिए निकटवर्ती आबादी कल्याण कारी कार्यक्रमों / निगम सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यकलापों को जारी रखना व उन्हें मजबूत बनाना।
- राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर उपयुक्त प्रौद्योगिकीय क्षमताओं एवं विशेषज्ञता को साझा करना।
- अपने कार्यकलापों में आधुनिकीकरण एवं प्रौद्योगिकीय नवीनता लाना।
- परमाणु ऊर्जा विभाग की अन्य इकाइयों के साथ समन्वय करना एवं निरंतर तालमेल बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहना।
प्रचालनरत इकाइयां एवं निर्माणाधीन इकाइयां
प्रचालनरत इकाइयां इस प्रकार हैं :
- तारापुर परमाणु विद्युत केंद्र इकाइयां-1&2 (2x160 मेगावाट बीडब्ल्यूआर),
- तारापुर परमाणु विद्युत केंद्र इकाइयां-3&4(2x540 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर),
- राजस्थान परमाणु विद्युत केंद्र इकाइयां- 1से6 (आरएपीएस-1100 मेगावाट, आरएपीएस-2200 मेगावाटएवं आरएपीएस-3से6 4x220 मेगावाट, पीएचडब्ल्यूआर),
- मद्रास परमाणु विद्युत केंद्र इकाइयां-1व2 (2x220 मेगावाट पीएचडब्ल्यूमआर),
- नरौरा परमाणु विद्युत केंद्र इकाइयां-1व2 (2x220 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर),
- काकरापार परमाणु विद्युत केंद्र इकाइयां-1व2 (2x220 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर),
- कैगा विद्युत उत्पांदन केंद्र इकाइयां- 1 से 4 (4x220 मेगावाट पीएचडब्ल्यूवआर)एवं
- कुडनकुलम न्यूक्लियर विद्युत केंद्र इकाइयां-1व2 (2x1000 मेगावाट वीवीईआर)
- काकरापार परमाणु विद्युत केंद्र इकाई-3व4 (2x700 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर),
इसके अतिरिक्त, एनपीसीआईएल, कुडनकुलम स्थल पर एक 10 मेगावाट का पवन ऊर्जा संयंत्र भी प्रचालित कर रहा है।
निर्माणाधीन इकाइयां इस प्रकार है :
- राजस्थान परमाणु विद्युत परियोजना इकाइयां - 7 व 8 (2x700 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर),
- गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत परियोजना इकाइयां - 1 व 2 (2x700 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर),
- कुडनकुलम न्यूक्लियर विद्युत परियोजना इकाइयां - 3 व 4 (2x1000 मेगावाट वीवीईआर)
- कुडनकुलम न्यूक्लियर विद्युत परियोजना इकाइयां - 5 व 6 (2x1000 मेगावाट वीवीईआर)
इनके साथ ही, भारत सरकार ने 700 मेगावाट के 10 दाबित भारी पानी रिएक्टरों (पीएचडब्ल्यूुआर) – कैगा विद्युत उत्पादन परियोजना इकाइयां 5 व 6 (कैगा, कर्नाटक), गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत परियोजना इकाइयां 3 व 4 (गोरखपुर,हरियाणा), चुटका मध्य प्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना इकाइया 1व 2 (चुटका, मध्य प्रदेश), एवं माही बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु विद्युत परियोजना इकाइयां 1 से 4 (माही बांसवाड़ा, राजस्थान) की फ्लीट मोड में स्थापना हेतु प्रशासनिक अनुमोदन एवं वित्तीय संस्वीनकृति प्रदान की है। इन परियोजना मे पूर्व-परियोजना गतिविधियाँ प्रगति पर हैं।
प्रचालन कार्यनिष्पादन
वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान एनपीसीआईएल की सभी इकाइयों ने 47971 मिलियन यूनिट विद्युत का वाणिज्यिक उत्पादन किया। इसके अलावा वर्ष के दौरान 830 एमयू अशक्त विधुत का भी उत्पादन किया गया। एनपीसीआईएल ने न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों के सुरक्षित प्रचालन के अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। एनपीसीआईएल ने कई वर्षों से अपने रिएक्टरों में लगातार 80 प्रतिशत से अधिक का समग्र उपलब्धता गुणक बरकरार रखा है।
संरक्षा कार्यनिष्पादन
‘पहले संरक्षा व तत्पश्चात उत्पादन’ के सूत्रवाक्य का अनुपालन करते हुए एनपीसीआईएल को न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों के सुरक्षित प्रचालन के क्षेत्र में लगभग 54 वर्षों का अनुभव प्राप्त है। सभी विद्युत केंद्रों में, आईएसओ 14001 व आईएस- 18001 के अनुरूप क्रमश: पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली (ईएमएस) तथा व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं संरक्षा प्रबधंन प्रणाली (ओएचएसएमएस) प्रवृत्त हैं। अलारा ( यथा संभवप्राप्य न्यूनतम) के सिद्धांतों का पालन करते हुए तथा न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों (एनपीपी) में संरक्षा के उच्चतम मानकों को अक्षुण्णप रखते हुए विभिन्न न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के व्यावसायिक उद्भासनों को विनियामक, परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (एईआरबी) द्वारा विहित सीमाओं से काफी नीचे बनाए रखा जाता है। न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों (एनपीपी) से पर्यावरण में निस्सरित होने वाले रेडियोधर्मी बहिस्रावों को अत्यंंत न्यूनतम स्तर (औसतन एईआरबी द्वारा विहित सीमा के 1%से भी कम) पर बनाए रखा जाता है। वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूक्लियर ऑपरेटर्स (वानो), कैन्डूीओनर्स ग्रुप (सीओजी), आईएईए व अन्य अंतरराष्ट्रीएय संगठनों मेंसक्रिय भागीदारी के माध्यम से एनपीसीआईएल ने वैश्विक स्तर पर न्यूूक्लियर विद्युत संयंत्रों की संरक्षा व विश्वईसनीयता संवर्धन में योगदान दिया है। एनपीसीआईएल की इकाइयों को अनेक राष्ट्रीय एजेंसियों जैसे एईआरबी, एनएससीआई, गुजरात सेफ्टी काउंसिल, राष्ट्रीय संरक्षा काउंसिल- मुंबई व डीजीएफएएसएलआई आदि से अनेक संरक्षा पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
जैव विविधता संरक्षण
एनपीसीआईएल ने अपनी विनियामक व सांविधिक आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही साथ स्वेच्छा से पर्यावरण परिचर्या कार्यक्रम (ईएसपी) भी प्रारंभ किया है। यह कार्यक्रम, भारतीय न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों के अपवर्जन क्षेत्र (ईज़ेड) व इसके निकटवर्ती क्षेत्रों की जैव-विविधताओं –विशेषतया पक्षी समुदाय के वैज्ञानिक अध्ययन पर केंद्रित है जिसमें प्राकृतिक संरक्षण के कार्यों से जुड़े संस्थानों के साथ मिलकर इनके रहन-सहन के संरक्षण व उसमें सुधार पर कार्य किया जा रहा है। ईएसपी के एक भाग के रूप में कंपनी ने भारतीय न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों के निकटवर्ती क्षेत्रों में पाए जाने वाले पक्षियों पर ‘अवर फ्लाइंगगेस्टण’, भारतीय न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों के निकटवर्ती क्षेत्रों की तितलियों पर ‘7 इडेन्सप ऐण्डम 70 फेरीज़’, भारतीय न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों के फूलों पर ‘द रेल्म्स ऑफ फ्लॉवर्स’, भारतीय न्यूक्लियर विद्युत संयंत्रों के निकटवर्ती क्षेत्रों में पाए जाने वाले पक्षियों पर एक और पुस्तक ‘फ्लायर्स ऑफ अवर कोर्टयार्ड्स’ तथा कुडनकुलम न्यूक्लियर विद्युत संयंत्र के आस-पास जैव विविधता पर ‘हन्डसरेड लाइव्ज़‘ अराउन्डर अस’ नाम की पॉंच कॉफी टेबल बुक भी प्रकाशित की हैं।
जनता तक पहुंच कार्यक्रम
अपने स्थलों के निकटवर्ती क्षेत्रों के निवासियों से संपर्क व न्यूक्लियर विद्युत के बारे में आम जनता में सही दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता को पहचानते हुए एनपीसीआईएल ने अपने जन-जागरूकता कार्यक्रमों को संरचनात्मक रीति से बहुमुखी संपर्क के रूप में विकसित किया है। संप्रेषण के अनेक माध्यमों का प्रयोग करते हुए, विभिन्न लक्ष्य समूहों में नियमित रूप से न्यूक्लियर विद्युत के बारे में सटीक सूचनाएं प्रसारित की जा रही हैं।